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कवितायेँ

यक्ष प्रश्न है आदिकाल से 
नारी आज भी शोषित है  
 परिवार समन्वय मुश्किल  है
आज भी नारी कुपोषित है ।
 कोरोना के कहर से लोग डरे  हुए है
 जिंदा है घर मे, पर मरे हुए है
सरकार और अदालत के क्या कहने
फेंसलों से लोग बहुत डरे हुए है
संविधान ,सपथ और नैतिकता
सरकार अपने पक्ष में किये हुए है
हर हाथ को काम का टोटा है
मीडिया को भी  पक्ष में किये हुए
सब पूछते है क्या होगा  ” केशरी “
बेकुसूर लोग, जेल  में  भरे हुए है ।
आस्तीन में बसने बालों 
तुम्हे  कोटि प्रणाम 
बहुत हो गया साथ हमारे 
पहुँचो  अपने धाम
जनता को निचोड़ दिया
नजर में आयी जमीन  
कॉरपोरेट  सब खायेंगे 
 जनता  पूरी होगी दीन ।
  • केशरी सिंह चिड़ार

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